Home Buy Or Rent. घर खरीदना आम आदमी के सबसे बड़े सपनों में से एक होता है. कई लोग जीवन भर की कमाई इकट्ठा करके अपना आशियाना बनाते हैं. नए दौर में बैंक से होम लोन (Home Loan) लेकर भी घर खरीदना आसान हो गया है. लेकिन आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो किराये (Rented House) पर रहने की वकालत करते हैं. दोनों के अपने-अपने तर्क हैं. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कौन सा विकल्प किस लिहाज से अच्छा है.
होम लोन और रेपो रेट (Home Loan and Repo Rate)
2022 के बाद से रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट, 2.5% बढ़ा दिया. इस वजह से होम लोन की दरें भी जो 6.5% थीं वो 9% हो गईं. रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने से लोगों पर EMI का बोझ बढ़ जाता है. ऐसे में आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपके घर की वैल्यू भी इसी रफ्तार से बढ़ रही है. गौर करने वाली बात ये है कि आपका मकान एक अपार्टमेंट (Apartment) है या फिर जमीन (Land) के साथ. महानगरों में जमीन की कमी की वजह से जमीन के रेट तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर फ्लैट के बजाय जमीन समेत घर खरीदा जाए तो ये किराये पर रहने के मुकाबले ज्यादा अच्छा विकल्प माना जाता है.
किराये पर रहना क्यों पसंद?
कई लोगों को किराये पर रहना ज्यादा पसंद आता है. इसके पीछे उनका तर्क होता है कि उन्हें घर खरीदने के लिए बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं करना पड़ता है. दूसरा तर्क हो सकता है कि उन्हें एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ सकता है. अगर कोई शख्स 50 लाख रुपये का एक घर खरीदता है. इस पर 80% रकम का लोन कराता है तो उसे 20 साल में ब्याज के साथ करीब 86 लाख रुपये अदा करने पड़ेंगे. हालांकि रियल एस्टेट की ग्रोथ के हिसाब से इसकी कीमत भी बढ़ेगी.
वहीं अगर कोई दूसरा शख्स किराए पर रहता है तो वो महीने में उसी घर के लिए किराया देकर 15 से 20 हजार की बचत करता है. बचत के इस पैसे को इन्वेस्ट करने पर उसके पास भी घर की कीमत के बराबर या ज्यादा फंड जमा हो सकता है. हालांकि उसके हाथ में कोई घर नहीं होगा. सीधी बात ये है कि अगर बचत करना संभव नहीं हो पाता है तो किराये पर रहना नुकसानदेह साबित होगा.
क्या फायदा क्या नुकसान?
अब अगर तुलना करें तो रेंट पर रहने वाले को रजिस्ट्री, स्टांप ड्यूटी, हाउस टैक्स का झंझट नहीं रहता. लेकिन उसे मकान मालिक की शर्तों पर रहना होगा. वहीं अगर कोई होम लोन के जरिए खुद का घर लेता है तो उसे सेक्शन 24 के तहत 2 लाख रुपये तक का सालाना टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) मिलेगा. उसके पास सोशल सिक्योरिटी के लिए घर होगा और अपना घर लेने का एक एहसास भी.
किरायेदार के नजरिए से देखें, तो मकान के किराये स्थिर नहीं रहते, बल्कि समय के साथ बढ़ते जाते हैं. घर खरीदने या किराये पर रहने का फैसला करने के पहले उस शहर में रियल एस्टेट का रिटर्न जरूर देखें, इस बात को भी ध्यान में रखें कि क्या आपको उसी शहर में हमेशा रहना है. अगर आप किराये पर रहने का फैसला करते हैं तो ये तभी करें जब आप किराये के बाद पैसे बचा कर उतना ही या उससे ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं जितना रिटर्न आपको घर में निवेश करने से मिलता.