Budget 2024: मोदी सरकार के 11 बजट का लेखा-जोखा; बड़े ऐलान, टैक्स बदलाव सब कुछ यहां है

Modi Govt Budgets. साल था 2014. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में बीजेपी (BJP) की अगुवाई वाली सरकार केंद्र में आ चुकी थी. अब बारी थी देश की अर्थव्यवस्था को नया मोड़ देने की. यानी मोदी सरकार का पहला बजट पेश करने की. मोदी कैबिनेट में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी अरूण जेटली (Arun Jaitley) को दी गई. उन्होंने 10 जुलाई 2014 को मोदी सरकार का पहला आम बजट संसद में पेश किया. तब से लेकर अब तक सरकार अपने दोनों कार्यकाल को मिलाकर 10 बार आम बजट और साल 2019 में एक बार अंतरिम बजट पेश कर चुकी है.

2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इसलिए सरकार इस बार अंतरिम बजट पेश करेगी. इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. आइए समझते हैं कि सरकार द्वारा पेश किए गए 11 बजट का लेखा-जोखा क्या है? इस दौरान टैक्स से लेकर आम लोगों के जीवन पर असर डालने वाले कौन से बदलाव हुए हैं, जिसकी वजह से सरकार सबसे अधिक चर्चा में रही.

बजट 2014 (Budget 2014)

2014 का बजट मोदी सरकार का पहला आम बजट था, जिसमें टैक्स छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया गया था. इसके अलावा, सीनियर सिटीजन के लिए ये सीमा 2.5 लाख से बढ़कर 3 लाख रुपये तक की गई. सेक्शन 80(C) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट भी 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई थी.

बजट 2015 (Budget 2015)

साल 2015 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सबसे बड़ा ऐलान करते हुए वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया था. उन्होंने 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया. इसके अलावा उन्होंने सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री कर दिया. एनपीएस (NPS) में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा की गई और बीमा क्षेत्र को लाभ देने के साथ ही व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट को 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया गया.

बजट 2016 (Budget 2016)

मोदी सरकार के 2016 के बजट में कई बदलाव किए गए. 5 लाख से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट को 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया. घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80GG के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को 24 हजार से बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दिया गया. इस बजट में वित्त मंत्री ने 1 करोड़ रुपये से अधिक सालाना कमाई वाले व्यक्तियों पर सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया.

बजट 2017 (Budget 2017)

साल 2017 के आम बजट में भारतीय इतिहास में पहली बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश किए गए थे. इसके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 लाख तक की आय वाले टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया था.

बजट 2018 (Budget 2018)

वर्ष 2018 के बजट में टैक्सपेयर्स को 40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रस्ताव रखा गया था. सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया था. वरिष्ठ नागरिकों की 50 हजार रुपये तक की ब्याज आय को टैक्स फ्री कर दिया गया, जो पहले 10 हजार रुपये थी. इक्विटीज पर 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10 फीसदी टैक्स अनिवार्य कर दिया गया. 250 करोड़ रुपये तक के MSME के व्यापार पर टैक्स स्लैब को 25 फीसदी किया गया था. इस बार भी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ.

अंतरिम बजट 2019 (Interim Budget 2019)

2019 में मोदी सरकार ने पहला अंतरिम बजट पेश किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने टैक्स रिबेट की लिमिट को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया था. इसके साथ ही पोस्ट ऑफिस और बैंक डिपॉजिट पर TDS की सीमा को 10 हजार से बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दिया गया.

मोदी सरकार 2.0 का पहला पूर्ण बजट 2019 (Budget 2019)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में मोदी सरकार 2.0 का पहला आम बजट पेश किया था. इसमें 2 से 5 करोड़ आमदनी पर सरचार्ज को 3 फीसदी और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर सरचार्ज को 7 फीसदी बढ़ाया गया था. होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन प्रस्तावित किया गया था. सेविंग अकाउंट में एक करोड़ रुपये से ज्यादा जमा करने, एक साल में विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये या उससे अधिक खर्च करने, 1 लाख रुपये से अधिक के बिजली बिल का भुगतान करने वालों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किया कर दिया गया.

बजट 2020 (Budget 2020)

2020 के बजट में वैकल्पिक आयकर स्लैब्स की घोषणा की गई. अब करदाताओं को पुराने परंपरागत इनकम टैक्स स्लैब के अलावा एक नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब दिया गया. कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले डिविडेंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म कर दिया गया था. सस्ते मकान की खरीद पर सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया. केवल पेंशन और जमा से होने वाली ब्याज आय पर निर्भर 75 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इनकम टैक्स रिटर्न न भरने की सुविधा दी गई.

बजट 2021 (Budget 2021)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के जरिए ‘न्यू इंडिया’ का खाका देश के सामने रखा. स्टार्टअप कंपनियों के लिए टैक्स हॉलिडे को एक साल तक बढ़ाया गया. स्टार्टअप्स में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर छूट को भी एक और साल के लिए बढ़ाया गया. सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में ग्रामीण क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए आवंटन को 40,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया. वित्त मंत्री ने पांच प्रमुख फिशिंग हब बनाने की घोषणा की. वित्त मंत्री ने इंश्योरेंस सेक्टर में FDI की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करने की घोषणा की.

बजट 2022 (Budget 2022)

2022-23 के बजट में केंद्र सरकार ने ITR में गड़बड़ी होने पर उसे सुधारने के लिए 2 साल का समय देने का निर्णय किया. कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 7% किया, जो पहले 12% हुआ करता था. पेंशन पर टैक्स छूट देने का ऐलान किया. देश में पहली बार क्रिप्टोकरेंसी या कहें वर्चुअल एसेट्स से होने वाली इनकम को टैक्स के दायरे में लाया गया. इससे होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगाया गया.

बजट 2023 (Budget 2023)

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी आम बजट कई मायनों में खास रहा. इसमें इनकम टैक्स के स्लैब में बड़ा बदलाव किया गया. नए टैक्स सिस्टम के तहत करीब 7 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई. हालांकि इसके साथ सरकार ने दूसरे टैक्स छूट को इसमें से बाहर कर दिया. ITR फाइल करते वक्त नई टैक्स व्यवस्था को ऑटो सेलेक्ट मोड में रख दिया. अगर आप चाहें तो उसमें बदलाव कर सकते हैं. सुपर रिच टैक्स (5 करोड़ से ज्यादा आय) को कम कर 25% कर दिया गया. रिटायर्ड कर्मियों के लिए लीव एनकैशमेंट की लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये से 25 लाख रुपये कर दी गई.

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